आज का प्रश्न-276 question no-276
प्रश्न-276 : किस प्राचीन फ्रांसीसी गणितज्ञ ने कहा था? ” एक गणितीय सिद्धांत को तब तक सम्पूर्ण नहीं माना जाना चाहिए जब तक कि वह इतना स्पष्ट न हो जाए कि सड़क पर मिलने वाले किसी भी आदमी को आप उसे समझा सकें”
उत्तर : जोसेफ लुई लाग्रांज (Joseph Louis Lagrange, 1736-1813) 17 वर्ष की अल्पायु में ये राजकीय सैनिक अकादमी में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। गणित एवं खगोल शास्त्र को इनकी देन अपूर्व है। खगोल शास्त्र में इन्होंने "चंद्र-मुक्ति-सिद्धांत" तथा "बृहस्पति के चार उपग्रह संबंधी सिद्धांत" की व्याख्या पर अनेक अन्वेषण किए। 1766 ई. में ये बर्लिन में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। तदुपरांत लाग्रांज ने समीकरणों एवं संख्याओं के सिद्धांतों पर अनेक खोजें कीं और द्विघातीय अनिर्णीत समीकरण का हल दिया (जो हिंदू गणितज्ञों के ही अनुरूप था), तृतीय वर्ण के सारणिकों का सूची स्तंभ संबंधी अन्वेषणों में खूब प्रयोग किया और विचरण करलन (जिसके आविष्कार का श्रेय आयलर के साथ इनको भी है) की सहायता से काल्पनिक-वेग-सिद्धांत से यंत्रविज्ञान की संपूर्ण पद्धतियों का निगमन किया। इनके अतिरिक्त इन्होंने संभाव्यता, परिमित अंतर, आरोह सितत भिन्नों और दीर्घवृत्तीय समकलों पर भी अनेक अन्वेषण किए।
Asha Saxena जी व फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
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प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर
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आर्कमिडीज
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