आज का प्रश्न-239question no-239
प्रश्न-239 : गणित आविष्कार है या खोज बताओ ?
उत्तर : गणित आविष्कार है या खोज, गणित विषय है या रहस्य, गणित विचार है या सिद्धांत।
ये बहुत से ऐसे अनबूझ प्रश्न हैं जो सदियों से विमर्श और चर्चा-परिचर्चा का बेहद नाजुक मुद्दा रहा है शिष्ट मानवो से लेकर वनों ने रहने वाले सभी जनों ने अपने अपने ढंग से काम चलाने के लिए आज तक जो हिसाब लगाया है उस हिसाब से स्पष्ट है कि गणित की व्यापकता सार्वभौम है आवश्यकताओं की वृद्धि और सभ्यता के विकास के साथ गणित शास्त्र की विभिन्न शाखाओं का विकास हुआ, जिस के लिए विश्व के सभी गणितज्ञ जुटे और आधुनिक गणित के इस स्वरूप तक हम आज पहुंचे।
दिन प्रतिदिन गणित के क्षेत्र का विकास होता जा रहा है कभी यानि गत कुछ ही वर्षों तक गणित को बस अंकगणित के समतुल्य माना जाता था गिनती और पहाडो तक गणित की पहुँच को मानने वाले लोगों की भीड़ ज्यादा थी फिर तारों और ज्योतिष ने गणित को पुष्ट किया तो कहीं ज्यामिति ने गणित के विशाल रूप को रेखाओं में उकेरा, समय के बीतने के साथ साथ गणित रूपी वृक्ष में से कईं अन्य शाखाएं निकली जैसे बीजगणित,ज्यामिति,त्रिकोणमिति आदि।
जब गणित ने अपनी गणनाओं के विशाल रूप को दिखाया तब इस में से प्रकट हुआ ज्योतिष और ज्योतिष की गणनाओं से पहुंचा यह अनुभवों के फलित परिणामों तक और वास्तव ने इन फलित अनुभवों ने ही ज्योतिषों के माध्यम से गणित को राजघरानो की कृपा दिलवाई वरना तो आम आदमी गिनना और गुणित करना तक ही इस का प्रयोग कर रहा था।
शुद्ध गणित,प्रायोजित गणित,ज्योतिष और सांख्यिकी के रूप में गणित आज एक विशाल दर्शन के रूप में हमारे समक्ष मौजूद है जिस ने सभी विज्ञानों की रानी बनने का खिताब हासिल किया। आज गणित इतना विशाल हो गया है कि इस ने अपनी खुद की सत्ता कायम कर ली है और यह विषय इतना आर्वाचीन है कि इसका आदि अंत लिख पाना उतना ही कठिन है जितना कि यह कह पाना गणित आविष्कार है या खोज, गणित विषय है या रहस्य, गणित विचार है या सिद्धांत।
गणित ना तो आविष्कार है ना खोज! यह एक दर्शन (फिलासाफी) है!
आशीष श्रीवास्तव जी काजल कुमार जी का और फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
प्रश्न-239 : गणित आविष्कार है या खोज बताओ ?
उत्तर : गणित आविष्कार है या खोज, गणित विषय है या रहस्य, गणित विचार है या सिद्धांत।
ये बहुत से ऐसे अनबूझ प्रश्न हैं जो सदियों से विमर्श और चर्चा-परिचर्चा का बेहद नाजुक मुद्दा रहा है शिष्ट मानवो से लेकर वनों ने रहने वाले सभी जनों ने अपने अपने ढंग से काम चलाने के लिए आज तक जो हिसाब लगाया है उस हिसाब से स्पष्ट है कि गणित की व्यापकता सार्वभौम है आवश्यकताओं की वृद्धि और सभ्यता के विकास के साथ गणित शास्त्र की विभिन्न शाखाओं का विकास हुआ, जिस के लिए विश्व के सभी गणितज्ञ जुटे और आधुनिक गणित के इस स्वरूप तक हम आज पहुंचे।
दिन प्रतिदिन गणित के क्षेत्र का विकास होता जा रहा है कभी यानि गत कुछ ही वर्षों तक गणित को बस अंकगणित के समतुल्य माना जाता था गिनती और पहाडो तक गणित की पहुँच को मानने वाले लोगों की भीड़ ज्यादा थी फिर तारों और ज्योतिष ने गणित को पुष्ट किया तो कहीं ज्यामिति ने गणित के विशाल रूप को रेखाओं में उकेरा, समय के बीतने के साथ साथ गणित रूपी वृक्ष में से कईं अन्य शाखाएं निकली जैसे बीजगणित,ज्यामिति,त्रिकोणमिति आदि।
जब गणित ने अपनी गणनाओं के विशाल रूप को दिखाया तब इस में से प्रकट हुआ ज्योतिष और ज्योतिष की गणनाओं से पहुंचा यह अनुभवों के फलित परिणामों तक और वास्तव ने इन फलित अनुभवों ने ही ज्योतिषों के माध्यम से गणित को राजघरानो की कृपा दिलवाई वरना तो आम आदमी गिनना और गुणित करना तक ही इस का प्रयोग कर रहा था।
शुद्ध गणित,प्रायोजित गणित,ज्योतिष और सांख्यिकी के रूप में गणित आज एक विशाल दर्शन के रूप में हमारे समक्ष मौजूद है जिस ने सभी विज्ञानों की रानी बनने का खिताब हासिल किया। आज गणित इतना विशाल हो गया है कि इस ने अपनी खुद की सत्ता कायम कर ली है और यह विषय इतना आर्वाचीन है कि इसका आदि अंत लिख पाना उतना ही कठिन है जितना कि यह कह पाना गणित आविष्कार है या खोज, गणित विषय है या रहस्य, गणित विचार है या सिद्धांत।
गणित ना तो आविष्कार है ना खोज! यह एक दर्शन (फिलासाफी) है!
आशीष श्रीवास्तव जी काजल कुमार जी का और फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा
2 टिप्पणियां:
पैरंट्स को अपने बच्चों को पहेलियां हल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हो सके तो उन्हें बच्चे को रोजाना पहेलियां सुलझाने के लिए कहना चाहिए क्योंकि एक नई स्टडी के अनुसार पहेलियां हल करने से बच्चों का गणितीय कौशल बेहतर होता है।
शिकागो यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के एक टीम ने पैरंट्स और बच्चों की 53 जोड़ियों को अपनी इस स्टडी में शामिल किया। उन्होंने पता लगाया कि 2 से 4 साल के वह बच्चे जो पहेलियों से खेलते थे उनमें स्थानिक कौशल का बेहतर विकास हुआ और वह तर्क के माध्यम से गणितीय सवालों को आसानी से हल कर सकते थे।
स्टडी में रिसर्चरों ने पैरंट्स से अपने बच्चों के साथ वैसे ही बातचीत करने के लिए कहा जैसा वह आमतौर पर करते थे। इसमें शामिल आधे बच्चों ने कम से कम एक बार पहेलियां हल की थीं। समें पाया गया कि पहेलियां सुलझाने से बच्चों में गणित, विज्ञान और तकनीकी कैशल हतर होता है। साथ ही यह बच्चों की समझ और ज्ञान का महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।
रिसर्चरों की टीम के प्रमुख ने कहा कि इस अध्ययन से पता चलता है कि 2 से 4 साल की उम्र के वह बच्चे जो पहेलियां हल करते थे, 2 साल बाद उनका निरीक्षण करने पर उनमें गणित के प्रति बेहतर समझ और कौशल पाया गया।
गणित ना तो आविष्कार है ना खोज! यह एक दर्शन(फिलासाफी) है!
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