tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post7872592050556109614..comments2023-08-04T00:39:50.430-07:00Comments on हर रोज़ एक प्रश्न?: आज का प्रश्न-239question no-239Darshan Lal Bawejahttp://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-38334521971686897692012-03-20T15:26:59.532-07:002012-03-20T15:26:59.532-07:00गणित ना तो आविष्कार है ना खोज! यह एक दर्शन(फिलासाफ...गणित ना तो आविष्कार है ना खोज! यह एक दर्शन(फिलासाफी) है!Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-87337406746808397542012-03-20T10:52:56.859-07:002012-03-20T10:52:56.859-07:00पैरंट्स को अपने बच्चों को पहेलियां हल करने के लिए ...पैरंट्स को अपने बच्चों को पहेलियां हल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हो सके तो उन्हें बच्चे को रोजाना पहेलियां सुलझाने के लिए कहना चाहिए क्योंकि एक नई स्टडी के अनुसार पहेलियां हल करने से बच्चों का गणितीय कौशल बेहतर होता है।<br /><br />शिकागो यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के एक टीम ने पैरंट्स और बच्चों की 53 जोड़ियों को अपनी इस स्टडी में शामिल किया। उन्होंने पता लगाया कि 2 से 4 साल के वह बच्चे जो पहेलियों से खेलते थे उनमें स्थानिक कौशल का बेहतर विकास हुआ और वह तर्क के माध्यम से गणितीय सवालों को आसानी से हल कर सकते थे।<br /><br />स्टडी में रिसर्चरों ने पैरंट्स से अपने बच्चों के साथ वैसे ही बातचीत करने के लिए कहा जैसा वह आमतौर पर करते थे। इसमें शामिल आधे बच्चों ने कम से कम एक बार पहेलियां हल की थीं। समें पाया गया कि पहेलियां सुलझाने से बच्चों में गणित, विज्ञान और तकनीकी कैशल हतर होता है। साथ ही यह बच्चों की समझ और ज्ञान का महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।<br /><br />रिसर्चरों की टीम के प्रमुख ने कहा कि इस अध्ययन से पता चलता है कि 2 से 4 साल की उम्र के वह बच्चे जो पहेलियां हल करते थे, 2 साल बाद उनका निरीक्षण करने पर उनमें गणित के प्रति बेहतर समझ और कौशल पाया गया।Anonymousnoreply@blogger.com