Sunday, June 10, 2012

आज का प्रश्न-316 question no-316

आज का प्रश्न-316 question no-316
प्रश्न-316 : हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होंने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती। किसने कहा था?
उत्तर : अल्‍बर्ट आइन्‍सटाइन की उक्ति है यह "हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होंने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती।"
फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर

4 comments:

Anonymous said...

धार्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक महत्त्व
सैंकड़ो वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अनेक प्रकार के नियम एवं मान्यताएं स्थापित कीं ,जिसे उन्होंने
धर्म का स्वरूप देकर मानव हित के लिए जनता को बहुत ही साधारण सी भाषा में समझा दिया .वर्तमान युग के सन्दर्भ में जब उन्हें वैज्ञानिक तर्क की कसौटी पर कसते हैं ,तो आश्चर्य होता है की इतने प्राचीन समय में भी हमारे पूर्वज कितने वैज्ञानिक रहे होंगे .
इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने का प्रयास किया जा रहा है ;

1,तुलसी का महत्त्व ;-TULSI
हिन्दू धर्म में तुलसी का अत्यंत महत्त्व बताया गया है . रोज सवेरे उसको जल देना और पूजा
अर्चना करने का विधान है . प्रत्येक घर में उसका पौधा होना आवश्यक माना गया है . वैज्ञनिक शोधों में पाया गया है.की मानव शरीर के लिए तुलसी का पौधा अनेक प्रकार से स्वास्थ्यप्रद है . नित्य
उसके सानिध्यसे शुद्ध हवा शरीर को प्राप्त होती है .अनेक रोगों में भी इसके पत्ते , इसके बीज लाभकारी होते हैं .आयुर्वैदिक डॉक्टर तुलसा को जड़ी बूटी मानकर दवाओं में प्रयोग करते हैं .

2,सूर्य नमस्कार ;
SUN
रोज सवेरे सूर्य देवता की पूजा ,अर्थात सूर्य नमस्कार के साथ जल विसर्जन करने को हमारे धर्म
ग्रंथों में महत्त्व पूर्ण बताया गया है .सूर्योदय के समय जो किरणे हमारे शरीर पर पड़ती हैं ,स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है .अतः हमारे पूर्वजों ने इन किरणों से मानव को स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए सूर्य को देवता के रूप में प्रस्तुत किया और रोज सवेरे स्नानादि से निवृत हो कर सूर्योदय के समय में जल अर्पण का प्रावधान किया .इस प्रकार से होने वाले लाभ को वैज्ञनिक रूप से सही
पाया गया है .

3,विभिन्न उपवासों की धार्मिक मान्यता ;-
FAST
यदि हम प्रत्येक उपवास अथवा उपवासों पर दृष्टि डालें तो सभी उपवासों का एक ही उद्देश्य
प्रतीत होता है,की मानव को शरीरिक रूप से स्वास्थ्य रखा जाय. सारी शारीरिक समस्याओं की जड़ पेट होता है अर्थात यदि पेट की पाचन क्रिया दुरुस्त है , तो शरीर व्याधि रहित रहता है .उसे ठीक रखने के लिए समय समय पर उपवास रखना सर्वोत्तम साधन है ,उपवास रोजे के रूप में हो या
फिर नवरात्री के रूप में .इन उपवासों से इन्सान की जीवनी शक्ति बढती है, सहन शक्ति का संचार होता है .नवरात्री वर्ष में दो बार पड़ते हैं ,और दोनों के समय मौसम के संधिकाल में पड़ता है
अर्थात उन दिनों मौसम बदल रहा होता , हम ग्रीष्म से शरद ऋतू में प्रवेश कर रहे होते हैं ,या शरद ऋतू से ग्रीष्म ऋतू में प्रवेश कर रहे होते है .जब मौसम का बदलाव होता है हमारी
पाचन क्रिया बिगड़ जाती है .अतः ऐसे समय में उपवास या व्रत रखना शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा
करता है .अतः सभी उपवासों को चिकित्सा की दृष्टि से स्वास्थ्यप्रद पाया गया है .अतः मानव को स्वस्थ्य रखने के लिए उपवासों को धर्म से जोड़ा गया .

4,मंदिरों -गुरुद्वारों में घंटों का महत्त्व ;-
GHANTE
मंदिरों -गुरुद्वारों आदि धार्मिक स्थलों पर घंटे बजाने का चलन है ,परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं
की इसका भी एक वैज्ञानिक आधार भी है , जिसका स्वस्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है .घंटे बजने से
उत्पन्न ध्वनि तरंगें कीटाणुओं का नाश करती है ,और धार्मिक स्थल को वातावरण प्रदूषण रहित बनाती हैं .इस प्रकार शुद्ध यानि प्रदूषण रहित वातावरण में बैठ कर पूजा अर्चना करने से स्वस्थ्य
लाभ भी मिलता है .शायद हमारे पूर्वजों की सोच रही होगी मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए बीमार व्यक्ति भी आते है , जिनके रोगाणु अन्य भक्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं . अतः मंदिरों को संक्रमण रहित करने की युक्ति घंटे बजा कर निकली गयी होगी .

Anonymous said...

5,गायत्री मन्त्रों का महत्त्व ;
GAYATRI
गायत्री मन्त्रों का जाप सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण जाप माना गया है ,इसीलिए अनेक विद्वानों ने
इसे अपनी उपासना का अंग बनाया है . जाप कोई भी हो सबका उद्देश्य मन को केंद्रीकृत कर
उसे अनेक बुराईयों से बचाना होता है ,और शारीरिक ऊर्जा का विकास होता है . शांति कुञ्ज हरिद्वार में स्थित ब्रह्म वर्चस्व में ,इस विषय पर शोध करने के पश्चात् पाया गया की गायत्री मन्त्र के
उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें अन्य किसी भी मंत्र के मुकाबले सर्वाधिक अनुकूल प्रभाव डालती हैं .अतः इस मन्त्र का वैज्ञानिक महत्त्व चमत्कारिक है .इसके लगातार उच्चारण करने से शारीरिक ऊर्जा के साथ साथ जप के स्थान पर भी ऊर्जा का संचार पाया गया और वातावरण में स्वच्छता ,
सकारात्मकता का प्रभाव पाया गया .इसीलिए जहाँ पर नियमित गायत्री मंत्रोच्चार होता है , वह
स्थान मन को शांती प्रदान करने वाला हो जाता है .इसी कारण देवालयों में जाकर मन को अलग ही प्रकार की सुखद अनुभूति होती है
.
6,हवन का प्रयोजन कितना महत्त्व पूर्ण ;
havan
जब हवन का आयोजन होता है ,उस समय विभिन्न मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है ,जिनका महत्त् ऊपर बताया गया है .उसके पश्चात् हवन कुंड में देसी घी ,कपूर ,हवन सामग्रीतथा आम की लकड़ी
प्रज्वलित की जाती है , सभी भक्त उसके निकट बैठे होते हैं ,इन वस्तुओं के प्रज्वलन से भक्तों को शुद्ध ओक्सिजन का सेवन करने का अवसर प्राप्त होता है .जो हमारे स्वास्थ्य रक्षा और रोगों के
निदान के लिए महत्त्व पूर्ण होता है ,हवन की वायु शुद्ध होती है ,जिससे वातावरण में व्याप्त
जीवाणु और विषाणु नष्ट हो जाते हैं ,और हमें संक्रमण से बचाता है .यह सभी प्रकार के लाभ
वैज्ञानिक शोधों से सिद्ध हो चुके हैं .साथ ही मानसिक .सामाजिक .और धार्मिक लाभ अलग से
मिलते हैं .अतः आज भी हवन का आयोजन पूर्णतयः प्रासंगिक है
7,गंगा का महत्त्व ;
ganga
वैसे तो किसी भी नदी में स्नान का अर्थ है हम प्रकृति के अधिक समीप हो कर स्नान कर रहे हैं ,
क्योंकि हमारे शरीर की संरचना पंचतत्वों से निर्मित मानी गयी है ,यानि अग्नि ,जल ,वायु ,पृथ्वी
और आकाश .अतः जब हम किसी नदी या तालाब में स्नान करते हैं ,तो खुले आकाश के नीचे , पृथ्वी अर्थात मिटटी ,वायु जल और सूर्य अर्थात अग्नि सभी में संपर्क के हमारा शरीर होता
है .इस प्रकार नदी या तालाब में स्नान करने का अर्थ है, अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य लाभ करना
.परन्तु यदि कोई व्यक्ति गंगा नदी में नहाता है , उसे मिलने वाला लाभ कई गुना बढ़ जाता है .क्योंकि वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है ,की गंगा जल में कुछ ऐसे केमिकल सम्मिलित हैं जो मानव सहित सभी प्राणियों के लिए अमृत का कार्य करते हैं ,जो हमें अनेक त्वचा रोगों से बचाते हैं और पाचन शक्ति दुरुस्त रखने में मदद करते हैं . यद्यपि वर्तमान समय में मानव विकास के साथ साथसभी नदियों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उनमे औद्योगिक कचरा एवं मानव मळ मूत्र और न जाने
क्या क्या डाला जा रहा है . जिससे सभी नदियों के साथ साथ गंगा नदी भी प्रभावित हुयी है और जल का रंग भी बदल चुका है ,आज उसमे स्नान करना संक्रमण को आमंत्रित करना है .अब गंगा में स्नान वरदान नहीं अभिशाप बन चुका है .अतः यह आवश्यक है गंगा ही नहीं सभी नदियों को प्रदूषण से बचाया जाय ,ताकि सभी नदियों में स्नान करना पूर्व की भांति लाभकारी हो सके , जो अब से पचास वर्ष पहले था .

Anonymous said...

8,पूजा अर्चना का महत्त्व ;
PRAYARपूजा अर्चना अपनी अपनी आस्था का ,विश्वास का प्रश्न है ,और जो जिस भी इष्ट देव को
मानता है उसी की पूजा अर्चना करता है . यहाँ पर यह विचार का विषय नहीं है ,यहाँ पर पूजा से चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार होने वाले लाभ से अवगत कराना है .पूजा ध्यान ,जप ये सब मन को केन्द्रित करने में मदद करते हैं .उससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है .और मन के विकारों से मुक्ति पाने में सहायता मिलती है .व्यक्ति नियमित जीवन जीने को अग्रसर होता है. और स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है इसके अतिरिक्त सामाजिक लाभ भी प्राप्त होते हैं .अनेक अवसरों पर
सामूहिक पूजा के आयोजन किये जाते हैं ,जिससे आपसी मेल जोल व् सहयोग को बढ़ावा मिलता
है ,और आम व्यक्ति के गलत कार्यों पर अंकुश भी लगता है .

9,उपास्य देव में विश्वास का महत्त्व ;
upasy dev
किसी भी धर्म में ,किसी भी इष्ट देव में विश्वास , मानसिक रूप से कवच का कम करता है .
धर्म चाहे कोई भी हो जिस इष्ट देव में आपका विश्वास है वह आपका हर समय सहारा बना रहता है .जीवन में अनेक बार उलझन भरे क्षणों में आपका इष्ट देव में विशवास आपको हिम्मत प्रदान करता है और संतोष मिलता है .यही हिम्मत आपको गंभीर क्षणों के दौरान विचलित होने से आपकी
रक्षा करती है .सिर्फ यह सोच कर की आपके इष्ट देव की यही इच्छा थी,भयंकर स्थिति में भी
मानसिक संतुलन बना रहता है .इसी प्रकार किसी गंभीर प्रश्न पर अनिर्णय की स्थिति में इष्ट देव काआदेश समझ कर निर्णय लेने में सफल हो जाते हैं.इस विश्वास के साथ की इष्ट देव सब कुछ ठीक
करेंगे .अतः हमारे पूर्वजों ने जनता को ऐसा समाधान सुझा दिया जो मानव को शारीरिक व्
मानसिक असंतुलन से तो बचाता ही है ,साथ ही गलत राह पर जाने से भी रोकता है , और समाज को विकृत होने से बचाता है .साम्प्रदायिक द्वेष इसका एक नकारात्मक पहलू भी है जो हमें विभिन्न धार्मिक दंगों के रूप में सहन करना पड़ता है .जो सिर्फ अपने इष्ट देव के प्रति कट्टर विश्वास और
दूसरे धर्मों के प्रति असहनशील होने का परिणाम हैi

ePandit said...

आइंस्टीन ने?