मंगलवार, 5 जून 2012

आज का प्रश्न-310 question no-310

आज का प्रश्न-310 question no-310
प्रश्न-310: शुक्र पारगमन या शुक्र संक्रमण को हिंदू ज्योतिष में किस नाम से जाना जाता है व इस घटना का क्या फलादेश सम्भावित है? 
उत्तर: उज्जैन वेधशाला जंतर-मंतर के अधीक्षक राजेंद्र प्रकाश गुप्त के मुताबिक वैज्ञानिक भाषा में इसे शुक्र का पारगमन कहते हैं जबकि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे शुक्र का सूर्यातिक्रमण कहा जाता है। खगोल विज्ञान के अलावा ज्योतिष में भी इस घटना को दुर्लभतम माना गया है।
एक अन्य आदरणीय ज्योतिष जी की राय, पंचांग में इसका नाम शुक्र अधिक्रमण है।
शुक्र पहले से वृष राशि में था जबकि सूर्य बाद में आया। शुक्र वक्री चल रहा है अर्थात वापस आ रहा है जबकि सूर्य आगे बढ़ रहा है। इस कारण शुक्र सूर्य के नजदीक जा रहा है जिससे शुक्र का प्रकाश समाप्त हो रहा है अर्थात काला दिखेगा। शुक्र का सूर्य को इस तरह पार करना अधिक्रमण है।
शुक्र से प्रभावित राशियों पर इसका असर पड़ेगा। जिनका शुक्र खराब है उनके लिये खराब है क्योंकि एक तो शुक्र वक्री चल रहा है, अस्त है और ऊपर से सूर्य से अधिक्रमण हो रहा है। इसका संसार पर भी असर पड़ता है, कुछ अप्रत्याशित घटना हो सकती है।
बेनामी जी व फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर
 
 

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अब से कुछ ही घंटों बाद आसमान में एक दुर्लभ घटना घटने वाली है। ज्योतिष में वैभव और सौंदर्य का प्रतीक सितारा शुक्र 5 और 6 जून की दरमियानी रात सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरेगा। सूर्य, पृथ्वी और शुक्र तीनों ग्रह कुछ घंटों के लिए एक कतार में आ जाएंगे।

इससे सूर्य पर एक छोटा काला धब्बा बनेगा। 243 साल में महज चार बार होने वाली इस घटना का नजारा आप अगली बार नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह घटना 6 जून के बाद 11 दिसंबर 2117 को होगी।

यह दुर्लभ घटना 6 जून को अलसुबह 3.09 बजे से शुरू होगी, जो सुबह 10.19 बजे तक देखी जा सकेगी। उज्जैन वेधशाला जंतर-मंतर के अधीक्षक राजेंद्र प्रकाश गुप्त के मुताबिक वैज्ञानिक भाषा में इसे शुक्र का पारगमन कहते हैं जबकि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे शुक्र का सूर्यातिक्रमण कहा जाता है। खगोल विज्ञान के अलावा ज्योतिष में भी इस घटना को दुर्लभतम माना गया है।

कहां-कहां देखा जा सकेगा?

भारत के अलावा यह घटना पूर्वोत्तर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, उत्तर एशिया, पूर्वोत्तर चीन, कोरिया, जापान, पसिफिक महासागर, न्यू गुयाना, हवाई, रुस, अलास्का, उत्तर-पश्चिम कनाडा में दिखाई देगा। सूर्योदय के साथ इसे खाड़ी, दुबई, सिंगापुर, मलेशिया एवं नेपाल में देखा जा सकेगा। बिना किसी साधन के इसको देखने को प्रयास न करें अन्यथा आंखों के खराब होने का भय है।

क्या होता है पारगमन?

जिस प्रकार पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चंद्रमा के आने पर सूर्यग्रहण की स्थिति निर्मित होती है, उसी प्रकार अन्य ग्रह भी पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आते हैं परंतु वे पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण आकार में छोटे दिखाई देते हैं और सूर्य को ढंक नहीं पाते और एक बिंदु के समान सूर्य की छाया से गुजरते हुए दिखाई पड़ते हैं, इसे ही पारगमन कहते हैं। सूर्य बिंब के ऊपर से पारगमन की घटना आंतरिक कक्षा वाले ग्रह बुध एवं शुक्र के साथ ही होती है।

क्या प्रभाव पड़ेगा भविष्य में?

पं. मनीष शर्मा के अनुसार ज्योतिष के दृष्टिकोण से शुक्र के पारगमन की यह घटना आषाढ़ कृष्ण द्वितीया तिथि को होगी। शुक्र का सूर्य पर यह अतिक्रमण तब होगा जब शुक्र अपनी ही राशि वृषभ में टेड़ी चाल चलेगा, जिसमें वर्तमान में चार ग्रह और गुजर रहे हैं। इस समय सूर्य भी वृषभ राशि में रहेगा जो कि शुक्र की राशि है। इसका असर पूरी देश-दुनिया पर पड़ेगा।

क्या होगा देश-दुनिया पर असर?

पं. शर्मा के अनुसार सूर्य, शुक्र का एक ही राशि में गोचर साथ ही गुरु एवं केतु का भी वृषभ राशि में गोचर तथा शुक्र का अतिक्रमण तूफानी वर्षा की ओर संकेत करता है। कई क्षेत्रों में बाढ़ के हालातों का निर्माण होगा। वृषभ राशि वालों को मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। आयात-निर्यात में कमी आने का संकेत है। मंदी आने का भ्रम हो सकता है किंतु ऐसा कुछ नहीं होगा। सोने-चांदी के भाव में अचानक कमी आ सकती है। सिनेमा उद्योग को नुकसान होने की संभावना बनेगी। खान-पान का व्यवसाय पनपेगा एवं जल से नुकसान होगा।

राशियों पर प्रभाव

पं. शर्मा के अनुसार शुक्रके पारगमन का राशियों पर ये प्रभाव पड़ेगा-

मेष-लाभ के अवसर बनेंगे तथा व्यापार में बदलाव का मन बनेगा।

वृषभ-समय अनुकूल नहीं है। मौन धारण करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। निवेश से बचें।

मिथुन-व्यापार में लाभ होगा। नए वाहन की प्राप्ति संभव होगी। विदेश जाने की मंशा वालों को सफलता मिलेगी।

कर्क- अचानक कोई बड़ा कार्य सिद्ध होने के आसार बनेंगे। बिगड़े कार्य फिर से बनने लगेंगे।

सिंह- किसी बड़े लाभ के आसार बनेंगे। कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न होंगे।

कन्या- छोटी सी बात पर बड़ा विवाद हो सकता हैं। वाहन प्रयोग में सावधानी रखें।

तुला-जगह परिवर्तन के योग बनेंगे। सावधान रहें कुछ आर्थिक हानि की संभावना बन रही है।

वृश्चिक- उन्नति, तरक्की व कार्यक्षेत्र में लाभ होगा। व्यापार में वृद्धि होगी, नए अनुबंध होंगे व बेहतर सफलता मिलेगी। मन प्रसन्न रहेगा।

धनु- समयबद्ध कार्य में कमी आएगी। ज्यादा समय उलझनों को सुलझाने में व्यय होगा।

मकर-दोस्तों से मिलना होगा। कार्य में तेजी आएगी। आर्थिक लाभ होने के योग बन रहे हैं।

कुंभ- शुभ समाचार मिलेंगे। अटके कामों को पूरा करने में समर्थ होंगे। नींद न आने के कारण परेशान रहेंगे।

मीन- सरकारी कामों में समस्याएं खड़ी होंगी। वाद-विवाद की स्थिति से बचें तो बेहतर रहेगा।

बेनामी ने कहा…

भारतीय ज्योतिष और शुक्र पारगमन
सूर्यबिम्ब के ऊपर से शुक्र का पारगमन का विशेष महत्त्व नहीं माना गया है । इस समय शुक्र सूर्य से युत होता है । साथ ही, अस्त एवं वक्री होता है । फलतः सूर्य से युत, अस्त एवं वक्री शुक्र की स्थिति के अनुसार ही फलकथन किया जाता है ।

ePandit ने कहा…

पिताजी द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार,

ज्योतिष शब्दावली में इसे शुक्र अधिक्रमण कहते हैं। शुक्र पहले से वृष राशि में था जबकि सूर्य बाद में आया। शुक्र वक्री चल रहा है अर्थात वापस आ रहा है जबकि सूर्य आगे बढ़ रहा है। इस कारण शुक्र सूर्य के नजदीक जा रहा है जिससे शुक्र का प्रकाश समाप्त हो रहा है अर्थात काला दिखेगा। शुक्र का सूर्य को इस तरह पार करना अधिक्रमण है।

शुक्र से प्रभावित राशियों पर इसका असर पड़ेगा। जिनका शुक्र खराब है उनके लिये खराब है क्योंकि एक तो शुक्र वक्री चल रहा है, अस्त है और ऊपर से सूर्य से अधिक्रमण हो रहा है। इसका संसार पर भी असर पड़ता है, कुछ अप्रत्याशित घटना हो सकती है।

मेरा भी शुक्र खराब है, कहीं ब्रॉडबैंड न ठप हो जाय। एक ब्लॉगर के लिये इससे बुरा क्या हो सकता है। :)

virendra sharma ने कहा…

महत्वपूर्ण प्रश्न पर बे -नामी जी ने महत्वपूर्ण जाकारी दी है .