आज का प्रश्न-300 question no-300
प्रश्न-300: 300 वर्ष पहले 1712 में इस महान आविष्कार से काम लिया गया था, चित्र में प्रदर्शित इस आविष्कार व इसके आविष्कारक का नाम बताएं?उत्तर: वैसे तो भाप के इंजन का इतिहास बहुत पुराना है (कोई दो हजार वर्ष)। किन्तु पहले की युक्तियाँ शक्ति उत्पादन की दृष्टि से व्यावहारिक नहीं थीं। बाद में इनकी डिजाइन में बहुत सुधार हुआ जिससे ये औद्योगिक क्रान्ति के समय यांत्रिक शक्ति के प्रमुख स्रोत बनकर उभरे। यद्यपि अब भाप से चलने वाली रेलगाड़ियाँ एवं अन्य मशीने कालकवलित हो चुकीं हैं किन्तु पूरे संसार की विद्युत-शक्ति का लगभग आधी शक्ति आज भी वाष्प टर्बाइनों की सहायता से उत्पन्न किया जा रहा है। भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन है जो कार्य करने के लिये जल-वाष्प का प्रयोग करता है। भाप के इंजन अधिकांशतः वाह्य दहन इंजन होते हैं। भाप इंजन के सारे माडलो के बाद उस का व्यवसायिक प्रयोग इस आविष्कार हा अगला चरण था तो इस क्षेत्र में अगला चरण न्यूकोमेन इंजन का आविष्कार था। इसका आविष्कार टामस न्यूकोमेन (1663-1729 ई.) ने किया। इस इंजन का खदानों और कुओं से पानी निकालने (1712 से) में 50 वर्षों तक उपयोग होता रहा। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसी से जेम्स वाट के आविष्कारों का मार्ग खुला। इस इंजन में पहली बार सिलिंडर और पिस्टन का उपयोग किया गया जो अब तक भाप इंजनों में प्रयुक्त किए जाते हैं।
न्यूकामेन इंजन में भाप केवल निर्वात उत्पन्न करने के काम आती है। पिस्टन उठाने का काम, जिससे पानी चढ़ता है, वायुमंडलीय दाब करता है। लेकिन भाप को केवल संघनित करने में बहुत ईंधन व्यर्थ खर्च होता है।
जेम्स वाट का महत्वपूर्ण कार्य भाप इंजन को सर्वश्रेष्ठ रूप देना है जिससे मनुष्य की शक्ति दस गुनी बढ़ गई और व्यावसायिक क्षेत्र में बृहद् परिवर्तन हो गया।
जेम्स वाट ग्लासगो में एक चतुर वैज्ञनिक यंत्ररचयिता थे और 1763 में ग्लासगो विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर से उन्हें एक न्यूकामेन इंजन की मरम्मत का ओदश मिला जो कभी ठीक न चलता था। मरम्मत करके समय वाट को ध्यान आया कि इसमें ईंधन बुरी तरह से व्यर्थ हो जाता है। विचारशील स्वभाव के वाट ने इससे श्रेष्ठ मशीन बनाने का विचार प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार उन्होंने अनेक अन्वेषण किए और यंत्र बनाए, जिनसे भाप इंजन को उसका वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ और वह उद्योग और सभ्यता की प्रगति में शक्तिशाली साधन बना।
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प्रस्तुति:
सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर
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