आज का प्रश्न-290 question no-290
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प्रश्न-290 : यू.एस.ए. व जापान से सम्बन्धित किस चीज का नाम "लिटिल बॉय" था?
उत्तर : हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी की गयी तो जो परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया था उस को ' लिटिल ब्वाय' और जो परमाणु बम नागासाकी पर गिराया था उस को 'फैट ब्वाय' कहा गया पर क्यूँ देखो
6 अगस्त, 1945 की सुबह अमरीकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम "लिटिल बॉय" गिराया था। तीन दिनों बाद अमरीका ने नागासाकी शहर पर "फ़ैट मैन" परमाणु बम गिराया। हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरीका पूर्व राष्ट्रपति रुज़वेल्ट के सन्दर्भ में "लिटिल ब्वाय" और नागासाकी के बम को विस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में "फ़ैट मैन" कहा गया।
जापान परमाणु हमले की त्रसदी झेलने वाला दुनिया का अकेला देश है।
छह अगस्त, 1945 को अमरीकी हवाई जहाज़ ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था.
इस ख़बर की घोषणा करते हुए अमरीका के राष्ट्रपति
हैरी ट्रूमन ने कहा कि हिरोशिमा पर गिराया गया बम अब तक इस्तेमाल में लाए
गए बम से दो हज़ार गुना शक्तिशाली है। इससे हुई क्षति का आज तक अनुमान नहीं लगाया जा सका है। बम को अमरीकी जहाज़ बी-29 से गिराया गया था जिसे इनोला गे के नाम से जाना जाता था। जहाज़ के चालक दल ने कहा कि धुंए का बड़ा सा गु़बार और आग के ज़बरदस्त गोले ऊपर की तरफ़ उठे थे। हिरोशिमा पर गिराए गए इस बम ने दूसरे विश्व युद्ध
का नक़्शा ही बदल दिया था। बम गिराए जाने से पहले जापान को बिना शर्त
हथियार डालने को कहा गया था। ब्रितानी प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली ने कहा कि इस
परमाणु प्रोजेक्ट में इतनी संभावनाए थीं कि ब्रिटेन ने अमरीकी वैज्ञानिकों
के साथ मिलकर काम किया था।
हिरोशिमा बम जिसे 'लिटिल बम' का नाम दिया गया था
के गिराए जाने के बाद 13 वर्ग किलोमीटर के दायरे में पूरी तरह उजड़ गया था
ओर शहर में मौजूद 60 प्रतिशत भवन तबाह हो गए थे। शहर की साढ़े तीन लाख आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग मारे गए थे. बहुत सारे लोग बाद में विकिरण के कारण मौत का शिकार हुए। तीन दिनों के बाद अमरीका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया जिसमें 74 हज़ार लोग मारे गए थे।
जापान ने 14 अगस्त, 1945 को हथियार डाल दिए थे।
अमेरिकी परमाणु बम
से हुए विस्फोटों में मारे गए लोगों को याद करने के लिए लोग हर वर्ष हिरोशिमा शहर में स्थित शांतिपार्क में इकट्ठा होते हैं। वहां
से थोड़ी दूर ही बच्चों का स्मारक है। इस स्मारक के केन्द्र में सडाको ससा
की मूर्ति लगी हुई
है। सडाको उन लाखों जापानी बच्चों में से एक थी, जिनकी हिरोशिमा और
नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से निकले विकिरण से हुए विकारों की वजह
से मौत हो गई थी। हादसे के बाद 13 वर्ष तक बची रहीं, हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए
जाते समय सडाको की उम्र महज दो वर्ष थी। उस समय सुबह के आठ बज रहे थे और
सडाको अपने घर में ही थी। तभी अमेरिकी विमान ने साढे चार टन वजनी परमाणु बम
‘लिटिल ब्वाय’ को
शहर के ऊपर गिरा दिया। धमाके में सडाको को कुछ भी नहीं हुआ बस उसकी गर्दन
और कानो के पीछे इसका प्रभाव देखा जा सकता था, लेकिन इस भयानक त्रसदी के दस
वर्ष बीतने के बाद वर्ष 1955 में विकिरण के लक्षण दिखने लगे थे और वह
ल्यूकीमिया की शिकार हो गई। 25 अक्टूबर 1955 को उसकी मौत हो गई। 1958 में
ही हिरोशिमा शांति पार्क में उसकी प्रतिमा लगाई गई। इस प्रतिमा में सडाको
एक बड़े हंस को अपने कंधे पर उठाए खड़ी है मानो यह शांति का सूचक हो। इस मूर्ति के कदमों में लिखा है ‘यह हमारा रुदन है, यह हमारी प्रार्थना है कि दुनिया में अमनो चैन हो।Dilip Kumar जी,आशीष श्रीवास्तव जी फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
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प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर
1 टिप्पणी:
फैट ब्वाय का एक और कातिल भाई
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