आज का प्रश्न-९८ question no.98
Qus.no98: मिट्टी के घड़े मे रखा पानी गर्मियों मे तो ठण्डा हो जाता है लेकिन बरसात के दिनों मे नहीं होता, क्या कभी नोट किया है, यदि हाँ तो ऐसा क्यों ?
उत्तर : मटके का जल ग्रीष्म ऋतु में ठण्डा इसलिए रहता है क्योंकि मटके में छोटे- छोटे छिद्र होते हैं | उन छिद्रों से पानी रिसता है, इस पानी का वाष्पीकरण (Vaporization) होता है और यह जलवाष्प (Water Vapour) में परिवर्तित हो जाता है | वाष्पीकरण के समय इस जल को वाष्प बनने के लिए "वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा" (Latent Heat of Vaporization) की आवश्यकता होती है जो यह मटके और उसके आस पास से लेता है और इस कारण मटके, उसके जल और आस-पास को ठण्डा कर जाता है |
वर्षा ऋतु में वायुमंडल में पहले से ही प्रचुर मात्रा में जल वाष्प होती है इस कारण मटके की सतह पर एकत्रित जल का वाष्पीकरण नहीं हो पाता और गुप्त उष्मा का क्षय ना होने के कारण मटके का पानी ठण्डा नहीं होता |
Qus.no98: मिट्टी के घड़े मे रखा पानी गर्मियों मे तो ठण्डा हो जाता है लेकिन बरसात के दिनों मे नहीं होता, क्या कभी नोट किया है, यदि हाँ तो ऐसा क्यों ?
उत्तर : मटके का जल ग्रीष्म ऋतु में ठण्डा इसलिए रहता है क्योंकि मटके में छोटे- छोटे छिद्र होते हैं | उन छिद्रों से पानी रिसता है, इस पानी का वाष्पीकरण (Vaporization) होता है और यह जलवाष्प (Water Vapour) में परिवर्तित हो जाता है | वाष्पीकरण के समय इस जल को वाष्प बनने के लिए "वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा" (Latent Heat of Vaporization) की आवश्यकता होती है जो यह मटके और उसके आस पास से लेता है और इस कारण मटके, उसके जल और आस-पास को ठण्डा कर जाता है |
वर्षा ऋतु में वायुमंडल में पहले से ही प्रचुर मात्रा में जल वाष्प होती है इस कारण मटके की सतह पर एकत्रित जल का वाष्पीकरण नहीं हो पाता और गुप्त उष्मा का क्षय ना होने के कारण मटके का पानी ठण्डा नहीं होता |
Shilpa Agrawal जी, आशा जी व फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा
2 टिप्पणियां:
मटके का जल ग्रीष्म ऋतु में ठण्डा इसलिए रहता है क्योंकि मटके में छोटे- छोटे छिद्र होते हैं | उन छिद्रों से पानी रिसता है, इस पानी का वाष्पीकरण (Vaporization) होता है और यह जलवाष्प (Water Vapour) में परिवर्तित हो जाता है | वाष्पीकरण के समय इस जल को वाष्प बनने के लिए "वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा" (Latent Heat of Vaporization) की आवश्यकता होती है जो यह मटके और उसके आस पास से लेता है और इस कारण मटके, उसके जल और आस-पास को ठण्डा कर जाता है |
वर्षा ऋतु में वायुमंडल में पहले से ही प्रचुर मात्रा में जल वाष्प होती है इस कारण मटके की सतह पर एकत्रित जल का वाष्पीकरण नहीं हो पाता और गुप्त उष्मा का क्षय ना होने के कारण मटके का पानी ठण्डा नहीं होता |
शिल्पा जी ने बहुत सही ,बताया है |
आशा
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