आज का प्रश्न-५8 question no.58
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Qus.no 58 : एक आँख की पलक के उपर से नेत्रगोलक को एक ऊँगली से दबाने पर सभी वस्तुएँ दो - दो क्यूँ दिखाई देने लगती हैं?
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उतर : जब हम ऊँगली से दबा कर नेत्रगोलक को अपनी मूल जगह से खिसकाते हैं तो दोनों आँखों के खुले होने की स्तिथि मे दोनों आँखों के रेटिना पर जो किसी एक वस्तु के प्रिबिम्ब बनते हैं उन को मस्तिष्क ओवरलेप नहीं कर पाता है और वो वस्तु अलग अलग प्रतिबिम्बित होती प्रतीत होती है.
गिरिजेश जी ने फेसबुक पर एक और महत्वपूर्ण जानकारी इसी प्रश्न के संदर्भ मे है.
देखें
Girijesh Rao यह बताइये कि क्या काने को भी ऐसा दिखेगा?
या उसे बस दृश्य ही आड़ा तिरछा दिखेगा, दो की संख्या में नहीं?
क्या इन प्रश्नों में कहीं उत्तर छिपा है?
या उसे बस दृश्य ही आड़ा तिरछा दिखेगा, दो की संख्या में नहीं?
क्या इन प्रश्नों में कहीं उत्तर छिपा है?
- @Girijesh Rao जी काने की यदि डिफेक्टिव आँख का नेत्र गोलक अपनी जगह से खिसका है तो उसको सही नहीं दिखेगा जब वो दोनों आँखे खोल कर देखेगा , इस प्रश्न मे हम यही कह रहे हैं की हम ऊँगली से नेत्रगोलक को अपने स्थान से खिसका रहें हैं तो एक ही वस्तु की अलग अलग इमेज दोनों आँखों के रेटिना पर बन रहीं है और एक ही वस्तु दो बार दिख रही है सेमी ओवरलेप रूप मे
आशा जी का सही जवाब देने के लिए धन्यवाद
Girijesh Rao जी का जवाब फेसबुक पर सही है.
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा
1 टिप्पणी:
It happens so because light diverges at that time .
Asha
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