शनिवार, 2 जुलाई 2011

आज का प्रश्न-४ question no.4

आज का प्रश्न-४ question no.4





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Qus.no.4:- दूध मे वसा की मात्रा किस यंत्र से मापी जाती है और क्या पशु दूध को मांसाहारी(Non-veg) आहार कहा जा सकता है?
     
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उपर बाईं तरफ हैडर के नीचे मनपसंद गीत संगीत भी कभी कभी पोस्ट किया जाता है सुने शायद आपको भी पसंद आये.   




दर्शन बवेजा

Butyrometer


उत्तर  : दूध मे वसा की मात्रा मापने के यंत्र को ब्युटाइरोमीटर Butyrometer कहा जाता है उस का चित्र बाईं और लगा है.
Butyrometer is a measuring instrument used to measure fat content in milk or milk products in general. The method used in the determination is Gerber's method as invented by Swiss chemist Niklaus Gerber.




लैक्टोमीटर दूध के आपेक्षिक घनत्व को मापने के काम आता है.    
दूध मे जीवित कोशिकाएं होती है और रासायनिक व जीववैज्ञानिक विश्लेषण से ये सत्यापित हैं अत् दूध को अशाकाहारी आहार मानने मे कोई दोराय नहीं है.
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद,बेनामी जी का भी तहे दिल से धन्यवाद  
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा  

13 टिप्‍पणियां:

रंजन (Ranjan) ने कहा…

कुछ लोग तो मानते है...'वेगन' कहते है उनको... no animal product...


मैं नहीं मानता.. दूध दही चीज खाता हूँ.. मुझे vegeterian कहते है...

राज भाटिय़ा ने कहा…

यंत्र का नाम तो नही मालूम, लेकिन दूध मांसाहारी(Non-veg) ही माना जाता हे, अजी दुध क्या सब जगह कीटाणू मोजूद हे ......

बेनामी ने कहा…

दूध पी कर हम किसी और के हक पर डाका डालते है अब अपने स्वार्थ के लिए जो मर्जी मान.... लो हा हा

Udan Tashtari ने कहा…

lactócrito


Synonyms: lactocrit

saurabh chhabra ने कहा…

i dont know d name of d instrument. But still can comment on d next part of d question. Any product obtained from animals is considered as non vegetarian food. As the process of obtaining milk does not include killing of the animal, so dis is cnsidrd as a vegetarian diet.

Darshan Lal Baweja ने कहा…

सौरभ जी आपके इस नये तर्क logic not kill का स्वागत है :)

ePandit ने कहा…

लैक्टोमीटर।

बेनामी ने कहा…

1. The very concept of vegetarianism is erroneous. Actually the word
vegetarian is a misnomer causing unnecessary confusion. That is why in vedic
literature there is no reference to such a word.

The actually term should be meat-arian.



No one can live without eating
vegetables and fruits, so everyone is a vegeratian . But those
ignorants/cruel/dumb people who eat meat/egg kill innocent lives, eat
tamasik food and hence are meatarians.

2. Milk is not meat. Extracting milk, does not pain or trouble cows. It's a
satvik diet having beneficial effect on mind and body. So there is no harm
in consuming milk. Ofcourse using injections on animals to increase milk,
denying milk to calves is a sin.

3. those who get into this debate of milk being vegetarian or not should
first understand that the reason of banning certain foods for civilized
humans is 2 folds:
a. It harms your own mind/body
b. it troubles/kills/ pains other living beings.

Anything that satisfies either of above 2 criteria, is 'abhakshya' food
(non-eatable). Everything else is Bhakshya (eatable). That's why in satyarth
prakash rishi doesn't get into debate of veg-non veg. he talks of Bhakshya
and Abhakshya food and clearly classifies meat as Abhakshya on above 2
criteria.

बेनामी ने कहा…

दूध मे लिविंग ब्लड सेल्स भी मिलते हैं।

बेनामी ने कहा…

यह मांसाहार और सेहत के लिए खतरनाक है
26 Nov 2005, 1925 hrs IST
मेनका गांधी
एक्टिविस्ट

दूध का कंपोजीशिन तरल मांस की तरह होता है, ऐसे में इसे शाकाहार कैसे मान लिया जाए? यह मांसाहार है क्योंकि यह जानवरों के खून से बनता है। इसे पूर्ण आहार मानना बिल्कुल गलत है। इसमें विटामिन, मिनरल, फाइबर, कार्बोहाईड्रेट न के बराबर पाया जाता है और इनके बिना कोई आहार पूर्ण नहीं हो सकता। इतना ही नहीं, दूध को पचाना भी बेहद मुश्किल है। खासतौर पर एशियाई, अफ्रीकी या जो गोरे नहीं हैं, इसे नहीं पचा सकते। हमारे शरीर में लैक्टेज नामक एंजाइम नहीं पाया जाता है, जो कि दूध पचाने के लिए बेहद जरूरी है। लिहाजा, दूध से आप असिडिटी के सिवा और कुछ नहीं प्राप्त कर सकते, क्योंकि यह शरीर में अम्लकारक होता है।

दूध का लगातार सेवन करने से अल्सर और गैस की बीमारियां जन्म लेती हैं। बचपन में डायबीटीज, अस्थमा, ऑस्टियोपरोसिस, एसिन और कैंसर जैसी बीमारियां तो दूध की वजह से ही होती हैं। नियमित रूप से दूध पीने वाले शाकाहारी लोगों को जब आमतौर पर मांसाहारियों को होने वाली बीमारियां हो जाती हैं तो उन्हें अचरज होता है। उन्हें ये बीमारियां मीट के ही एक रूप दूध के सेवन की वजह से होती हैं। दरअसल, दूध से शरीर में एलर्जी पैदा होती है। इसकी पुष्टि खून में एस्नोफिल की जांच से हो जाती है। दूध पीने के बाद एस्नोफिल की मात्रा काफी बढ़ जाती है। दूध पीने के बाद आपको लगेगा कि आपका शरीर दूध की एलर्जी से लड़ने की कोशिश कर रहा है।

जब ब्रिटिश भारत आए तो यहां डेरी इंडस्ट्री की शुरुआत हुई। एशिया में दूध पीने का प्रचलन नहीं है। आज भी सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही दूध पीने की परंपरा है। इन दो देशों को छोड़कर और कहीं के लोग दूध नहीं पीते। जहां तक भारतीय संस्कृति की बात है, तो बदकिस्मती से बहुत कम लोगों ने भारत की सांस्कृतिक विरासत पर लिखी किताबों का अध्ययन किया है। प्राचीन ग्रंथों में इस बात का कहीं प्रमाण नहीं मिलता है कि कभी कोई दूध पीता था या दूध पीने की अनुशंसा करता था। हां, हवन के लिए घी के इस्तेमाल की बात है और यह परंपरा आज भी है। हमारी संस्कृति में गाय या दूसरे दुधारू पशुओं के प्रति काफी सम्मान और स्नेह जताया गया है। यह अलग बात है कि अंग्रेजों ने इसे एक इंडस्ट्री बना दिया और हम इसे आज भी ढो रहे हैं।

गाय हमारे लिए बेहद उपयोगी पशु है। लेकिन डेरी उद्योग के प्रसार के कारण देशभर के बूचड़खानों के मालिक, क्रिमिनल और माफिया हमारी संस्कृति को खत्म करने में लगे हुए हैं। गाय-भैसों का गोबर और पेशाब हमारी खेती के लिए बेहद उपयोगी है, लेकिन हमने इनकी उपयोगिता सिर्फ दूध देने वाली मशीन के रूप में ही मान ली है।

आम भारतीय अगर दूध को शाकाहारी और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार समझते हैं तो इसके लिए हमारे देश के डॉक्टर दोषी हैं, जिनके पास खानपान से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान उन्हें इसकी विस्तार से जानकारी नहीं दी जाती है। अगर हम शरीर को एक मशीन मानते हैं तो यह जानकारी बेहद जरूरी है कि इसमें कौन सा तेल इस्तेमाल किया जाना चाहिए। दूध और मीट हमारे शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह तेल हैं और इसके सेवन से कैंसर से लेकर तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए मेडिकल कॉलेजों को चाहिए कि वे न्युट्रिशन को एक विषय के रूप में पढ़ाएं, क्योंकि आम आदमी डॉक्टर की बातों को आंख मूंदकर मानता है। लेकिन जानकारी के अभाव में डॉक्टरों से मिलने वाली गलत सूचनाएं खतरनाक साबित हो सकती हैं।

जहां तक दूध को हिंदू धर्म से जोड़ने की बात है तो इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। अगर यह परंपरा का हिस्सा भी है तो क्या आज लड़कियों की हत्या, सती, दहेज आदि का प्रचलन सिर्फ इसलिए है कि ये चीजें कभी हमारी परंपरा में शामिल थीं? क्या शिक्षा का यही मतलब है? आज हमारे लिए जरूरी है कि अंधकार को मिटाएं और सत्य की ओर बढ़ें। सच्चाई यह है कि दूध अनुपयोगी, मांसाहार और खतरनाक है और यह किसी भी रूप में भारतीयों के भोजन का हिस्सा नहीं होना चाहिए।

बेनामी ने कहा…

बोतलों में बिकेगा 'मां का दूध'


शिशुओं के लिए सबसे पौष्टिक आहार मां का दूध ही होता है. जल्द ही यह बाजार में भी मिलने लगेगा. यह होगा तो गाय का ही, लेकिन इसमें मां के दूध की सारी खूबियां मौजूद होंगी.

कुछ दिनों पहले अर्जेंटीना ने क्लोनिंग से एक ऐसी गाय तैयार करने की बात कही थी जिसका दूध इंसानी दूध जैसा है. अर्जेंटीना के बाद अब चीन ने भी ऐसा ही दावा किया है. जहां अर्जेंटीना ने दुनिया की पहली 'मां का दूध' देने वाली गाय की बात कही, वहीं चीन का कहना है कि उसने एक नहीं बल्कि ऐसी कई गायें तैयार कर ली हैं और जल्द ही यह दूध बाजार में भी उपलब्ध होगा
'गाय मां' का दूध

चीन के वैज्ञानिकों ने अनुवांशिक रूप से ऐसी संशोधित गायों को तैयार किया है जिनका दूध इंसानों के दूध के बराबर है. इंसानों के दूध के बदले इसे संभव विकल्प माना जा सकता है. चीन कृषि विश्वविद्यालय के एग्रोबायोटेक्नोलॉजी विभाग के शोधकर्ताओं ने मानव आनुवांशिक कोडिंग को गायों के डीएनए के जरिए पिंड गर्भ में डाला. उसके बाद पिंड गर्भ को गायों के सरोगेट में स्थानान्तरण किया गया.

चीन ने दावा किया है कि साल 2003 में चूहों पर बरसों तक प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने पहली ऐसी गाय तैयार की है जिसका दूध मानवीय दूध जितना पौष्टिक है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह दूध स्वादिष्ट है और मिठास भी ज्यादा है. इस प्रयोग से जुड़े मुख्य वैज्ञानिक और प्रोफेसर ली नींग के मुताबिक, "आनुवांशिक रूप से संशोधित गायों का 80 फीसदी दूध मानव दूध के बराबर होता है. हमारी संशोधित गायों के दूध में मानव दूध के कई गुण हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है. ऐसा माना जाता है कि ये सेहत के लिए अच्छे होते हैं और प्रतिरोध क्षमता को बेहतर

अन्तर सोहिल ने कहा…

क्या बेनामी की बातें भी सही हैं ???
एक बार मैनें कहीं पढा था कि दुनिया में कुछ जातियां ऐसी हैं जो दूध को मांसाहार मानती हैं।

प्रणाम

Ashish Shrivastava ने कहा…

दूध शाकाहार तो नहीं है. शाकाहार अर्थात साग सब्जी, पेड़ पौधों से प्राप्त आहार !
लेकिन दूध मांसाहार नहीं है. (नॉन-वेज का अर्थ मांसाहार तो नहीं होना चाहिए !)
दूध को एक अलग श्रेणी में रख जा सकता है जिसमे शहद भी शामील है!