आज का प्रश्न-375 question no-375
प्रश्न-375 : हिग्स बोसोन कण का रिश्ता किस भारतीय वैज्ञानिक से है ?
उत्तर : हिग्स बोसोन कण का रिश्ता मूल कणों के एक ऐसे समूह से है, जिसका नाम एक भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है। बोस भौतिकी विज्ञानी थे और उनकी विशेषज्ञता गणितीय भौतिकी विभाग में रीडर के पद पर कार्य करते हुए बोस ने प्लांक के क्वांटम विकिरण नियम की, समधर्मी कणों द्वारा दशाओं की गणना की नए तरीके से व्याख्या करते हुए शोधपत्र लिखा। उन्होंने इस शोधपत्र को अल्बर्ट आइंस्टाइन को भेज दिया जिन्होंने इसका जर्मन भाषा में अनुवाद करके बोस के नाम से जर्नल में प्रकाशित कराया। बोस द्वारा दिए गए नतीजे ने क्वांटम भौतिकी की नींव रखी। आइंस्टाइन ने इस विचार को अपनाया और परमाणुओं के लिए इसका विस्तार किया। एस एन बोस के नाम पर दिए गए शब्द ‘बोसॉन’ का वर्णन उप-परमाण्विक ऊर्जा वाहकों के रुप में किया गया जो बोस-आइंस्टाइन कंडनसेंट कहते हैं, के अस्तित्व का पूर्वानुमान लगाया। यह कंडनसेंट बोसोनों का एक घना समूह होता है जिसके अस्तित्व को सन् 1995 में एक प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया।
प्रश्न-375 : हिग्स बोसोन कण का रिश्ता किस भारतीय वैज्ञानिक से है ?
उत्तर : हिग्स बोसोन कण का रिश्ता मूल कणों के एक ऐसे समूह से है, जिसका नाम एक भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है। बोस भौतिकी विज्ञानी थे और उनकी विशेषज्ञता गणितीय भौतिकी विभाग में रीडर के पद पर कार्य करते हुए बोस ने प्लांक के क्वांटम विकिरण नियम की, समधर्मी कणों द्वारा दशाओं की गणना की नए तरीके से व्याख्या करते हुए शोधपत्र लिखा। उन्होंने इस शोधपत्र को अल्बर्ट आइंस्टाइन को भेज दिया जिन्होंने इसका जर्मन भाषा में अनुवाद करके बोस के नाम से जर्नल में प्रकाशित कराया। बोस द्वारा दिए गए नतीजे ने क्वांटम भौतिकी की नींव रखी। आइंस्टाइन ने इस विचार को अपनाया और परमाणुओं के लिए इसका विस्तार किया। एस एन बोस के नाम पर दिए गए शब्द ‘बोसॉन’ का वर्णन उप-परमाण्विक ऊर्जा वाहकों के रुप में किया गया जो बोस-आइंस्टाइन कंडनसेंट कहते हैं, के अस्तित्व का पूर्वानुमान लगाया। यह कंडनसेंट बोसोनों का एक घना समूह होता है जिसके अस्तित्व को सन् 1995 में एक प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया।
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