आज का प्रश्न-307 question no-307
प्रश्न-307: गाड पार्टिकल्स God Particles या ईश्वरीय कण क्या हैं?
उत्तर: ‘हिग्स बोसान’ को ‘ईश्वर कण’ भी कहते हैं। इसे शुरुआती
ब्रह्मांड में भारी कणों के द्रव्यमान के लिए उत्तरदायी माना जाता है। गाड पार्टिकल्स God Particles या ईश्वरीय कण हिग्स बोसॉन (Higgs
boson) कण ही हैं यह एक काल्पनिक
मूल कण है। जो ऊर्जा
के एक ऐसे अकेले अतिसूक्ष्म
बिंदु को कहते हैं, जिसका, जहाँ तक हमें पता है, आगे और कोई घटक या और कोई
टुकड़ा नहीं होता। उसे और अधिक खंडित (तोड़ा) नहीं किया जा सकता।
गॉड पार्टिकल वह अतिसूक्ष्म कण है
जिसने सृष्टि में सबको भार दिया। जब सृष्टि पूरी तरह नहीं बनी थी, तब सब कुछ हवा में तैरता था। तभी बिग-बैंग हुआ और सभी ग्रहों, तारों और
आकाशगंगाओं को हिग्स बोसोन कण ने भार दिया। इसी को गॉड पार्टिकल कहते हैं। इस हिग्स बोसोन के बारे में
पहले पता नहीं था। वैज्ञानिक जिनेवा के पास एक महाप्रयोग कर रहे हैं, जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई। इस महाप्रयोग
को लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर नाम दिया गया है। इसी महाप्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने इस कण की झलक देखी। हिग्स बोसोन
के द्वारा सृष्टि के कई रहस्यों से पर्दा
उठ सकता है। हिग्स बोसोन ही वह कण है जिसने सृष्टि में सबको जोडा और भार दिया। इसी के कारण ग्रह, तारे और आकाशगंगाओं का
निर्माण हुआ। अब वैज्ञानिक अपने महाप्रयोगं में वैसी ही परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं, जब हिग्स बोसोन ने आकर सबको भार दिया था। इस शोध में लगभग आठ हजार वैज्ञानिक शामिल है
हिग्स-बोसोन परमाणु-संघटक तत्वों को भार प्रदान करने वाले
ऊर्जा के उस रहस्यमय रूप को कहते हैं, जिसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। वे ठीक उस क्षण में बने होंगे, जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति
हुई थी। हीलियम के प्रोटॉन कणों को लगभग प्रकाश जैसी तेज गति से आपस
में टकरा कर एक बिंदुरूप
में उसी क्षण को दुबारा
पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।
एक ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर
हिग्स ने 1964 में यह
परिकल्पना दी कि परमाणु के इन आठ संघटक मूलकणों को उनका भार एक विशेष बलक्षेत्र से मिलता है। इस बलक्षेत्र को बाद में हिग्स
फील्ड कहा जाने लगा। परमाणु विज्ञान के तथाकथित
स्टैंडर्ड मॉडल के अनुसार हिग्स फील्ड के भी विद्युत
आवेशधारी और आवेशहीन भाग होते हैं। उन्हें भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस के नाम पर बोसोन नाम दिया गया।
सत्येद्रनाथ बोस ने परमशून्य तापमान पर पदार्थ की एक पाँचवीं
अवस्था की भी कल्पना की थी, जिसे बोस आइनश्टाइन कंडेनसेट कहा जाता है।
Dinesh Gera जी व Unmukt Hindi जी फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति:
सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर
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