सोमवार, 28 मई 2012

आज का प्रश्न-304 question no-304

आज का प्रश्न-304 question no-304
प्रश्न-304: चिकित्सा जगत की क्रांतिकारी खोज किसे माना गया है ?
उत्तर: चिकित्सा जगत की क्रांतिकारी खोज प्रतिजैविक पदार्थ यानि कि एंटीबायोटिक पेंसिलिन को माना गया है
एंटीबायोटिक पेंसिलिन की खोज के बाद चिकित्सा जगत में इलाज करने की पद्धति एकदम से बदल गयी
इसका क्ष्रेय अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को जाता है 1928 में स्कॉटिश साइंटिस्ट अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा सिफलिस के इंफैक्शन को खत्म करने वाली दवा पेंसिलिन की खोज के साथ चिकित्सा का एक नया अध्याय शुरू हुआ था। 1942 में अमेरिकन माइक्रोबायलॉजिस्ट सेल्मान वाक्समैन ने उन पदार्थों को, जो पदार्थ सूक्ष्म जीवों को नष्ट करते है और उन्ही से बनते हैं और उनकी बढ़वार रोकते हैं, एंटीबायोटिक नाम दिया। इसके बाद डॉक्टर इन्हें अपने निदान प्रक्रम में बाकायदा सुझाने लगे थे। उस समय ये दवा किसी चमत्कार से कम नहीं मानी गई थीं। पेनिसिलिन एंटीबायोटिक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे पहली दवाएं हैं जो सिफिलिस एवं स्टाफीलोकोकस संक्रमण जैसी बहुत सी पूर्ववर्ती गंभीर बीमारियों के विरुद्ध प्रभावी थीं पेनिसिलिन आज भी व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जा रही हैं, हालांकि कई प्रकार के जीवाणु अब प्रतिरोधी बन चुके हैं सभी पेनिसिलिन बीटा-लैक्टेम एंटीबायोटिक होते हैं तथा ऐसे जीवाणुगत संक्रमण के इलाज में प्रयोग में लाये जाते हैं जो आम तौर पर ग्राम-पॉज़िटिव, ऑर्गेनिज्म जैसी अतिसंवेदनशीलता के कारण होते हैंफ्लेमिंग ने वर्णन किया कि पेनिसिलिन की उनके खोज की तिथि शुक्रवार की सुबह, 28 सितम्बर, 1928 थी. यह एक आकस्मिक दुर्घटना थी: लंदन के सेंट मेरीज़ हॉस्पिटल के तहखाने में स्थित अपनी प्रयोगशाला में फ्लेमिंग ने गौर किया कि स्टेफ़ीलोकोकस प्लेट कल्चर सहित जीवाणुओं वाले एक पात्र को उन्होंने गलती से खुला छोड़ दिया था, जो नीले-हरे सांचे से संदूषित हो गया था, जिसका विकास दृश्यमान था. उस सांचे के चारों ओर दमनकारी जीवाणुओं के विकास का एक मंडल तैयार हो रहा था. फ्लेमिंग ने यह निष्कर्ष निकाला कि वह सांचा एक पदार्थ निकाल रहा था जो इस विकास को रोक रहा था एवं जीवाणुओं को मार रहा था उन्होंने एक शुद्ध कल्चर विकसित किया एवं पाया कि यह एक पेनिसिलियम सांचा था, जिसे अब पेनिसिलियम नोटेटम के रूप में जाना जाता है  फ्लेमिंग ने पेनिसिलियम सांचे के शोरबे वाले कल्चर के निथारन का वर्णन करने के लिए "पेनिसिलिन" शब्द रखा 
बहुत  संघर्षों के बाद इसका चिकित्सीय प्रयोग शुरू हो सका और नोबल पुरस्कार विजेता खोज बनी 
Kajal Kumar जी व फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर  

1 टिप्पणी:

अजय कुमार झा ने कहा…

cell यानि अणु की खोज को

देखिए जी हम आर्ट्स के भुसकोल विद्यार्थी हैं लेकिन टराई मार दिए हैं आगे तो आपे जानिए