आज का प्रश्न-104 question no-104
Qus.no104 : फोड़ा-फुंसी,संक्रमण होने पर बगल गर्दन व जांघो के पास गिल्टियां क्यो हो जाती हैं?
उत्तर : संक्रमण होने पर हानिकारक जिवाणुओं को नष्ट करने के लिये ग्रन्थियों मे भारी मात्रा WBC का निर्माण और एकत्र होने के कारण वो फूलने लगी हैं इस कारण फोड़ा-फुंसी,संक्रमण होने पर बगल गर्दन व जांघो के पास गिल्टियां हो जाती हैं; लिम्फ ग्रंथी मे श्वेत रक्त कण होते है किसी भी बाह्य परजीवी हमले पर ये सक्रिय हो जाती है, परजीवी से लड़ाई के दौरान इनमे सूजन आ जाती है और ये गिल्टियों जैसे लगती है।
आशीष श्रीवास्तव जी का बहुत घन्यवाद
फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा
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उत्तर : संक्रमण होने पर हानिकारक जिवाणुओं को नष्ट करने के लिये ग्रन्थियों मे भारी मात्रा WBC का निर्माण और एकत्र होने के कारण वो फूलने लगी हैं इस कारण फोड़ा-फुंसी,संक्रमण होने पर बगल गर्दन व जांघो के पास गिल्टियां हो जाती हैं; लिम्फ ग्रंथी मे श्वेत रक्त कण होते है किसी भी बाह्य परजीवी हमले पर ये सक्रिय हो जाती है, परजीवी से लड़ाई के दौरान इनमे सूजन आ जाती है और ये गिल्टियों जैसे लगती है।
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1 टिप्पणी:
बगल, गर्दन और जांघ के पास शरीर का सबसे पहला सीक्युरीटी पोष्ट होता है, जिन्हे लिम्फ ग्रंथी कहते है। इनमे श्वेत रक्त कण होते है। किसी भी बाह्य परजीवी हमले पर ये सक्रिय हो जाती है, परजीवी से लड़ाई के दौरान इनमे सूजन आ जाती है और ये गील्टी जैसे लगती है।
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