रविवार, 12 फ़रवरी 2012

आज का प्रश्न-203 question no-203

आज का प्रश्न-203 question no-203
प्रश्न-203 : श्रीधराचार्य रीति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : श्रीधर आचार्य (870 - 930 ईसवी सन) ने वर्ग समीकरण हल करने का सूत्र ( to find roots of quadratic equation)खोजा था!
उन्होने शून्य से संबंधित कई नियम भी प्रतिपादित किये थे जैसे किसी संख्या मे शून्य जोड़ने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या से शून्य घटाने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या मे शून्य का गुणा करने पर शून्य प्राप्त होता है। लेकिन वह शून्य द्वारा भाग देने पर मौन रहे।
श्रीधराचार्य 
प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ थे। इन्होंने शून्य की व्याख्या की तथा द्विघात समीकरणको हल करने सम्बन्धी सूत्र का प्रतिपादन किया।
इन्होंने 750 ई. के लगभग चार प्रसिद्ध पुस्तकें,त्रिंशतिका, पाटीगणित, बीजगणित और गणितसार, लिखीं। इन्होंने बीजगणित के अनेक महत्वपूर्ण आविष्कार किए। वर्गात्मक समीकरण को पूर्ण बनाकर हल करने का इनके द्वारा आविष्कृत नियम आज भी 'श्रीधर नियम' अथवा 'हिंदू नियम' के नाम से प्रचलित है।
उनके बारे में हमारी जानकारी बहुत ही अल्प है। उनके समय और स्थान के बारे में निश्चित रुप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। पाटीगणित, पाटीगणित सार और त्रिच्चतिका उनकी उपलब्ध रचनाएँ हैं जो मूलतःअंकगणित और क्षेत्र-व्यवहार से संबंधित हैं।भास्कराचार्य ने बीजगणित के अंत में - ब्रह्मगुप्त, श्रीधर और पद्मनाभ के बीजगणित को विस्तृत और व्यापक कहा है - 'ब्रह्माह्नयश्रीधरपद्मनाभबीजानि यस्मादतिविस्तृतानि' । इससे प्रतीत होता है कि श्रीधर ने बीजगणित पर भी एक वृहद् ग्रन्थ की रचना की थी जो अब उपलब्ध नहीं है। भास्कर ने ही अपने बीजगणित में वर्ग समीकरणों के हल के लिए श्रीधर के नियम को उद्धृत किया है
आशीष श्रीवास्तव जी  का और फेसबुक मित्रों (अभिषेक कालड़ा) का बहुत बहुत धन्यवाद 
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा 

3 टिप्‍पणियां:

Ashish Shrivastava ने कहा…

श्रीधर आचार्य (870 - 930 ईसवी सन) ने वर्ग समीकरण हल करने का सूत्र खोजा था!
उन्होने शून्य से संबंधित कई नियम भी प्रतिपादित किये थे जैसे किसी संख्या मे शून्य जोड़ने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या से शून्य घटाने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या मे शून्य का गुणा करने पर शून्य प्राप्त होता है। लेकिन वह शून्य द्वारा भाग देने पर मौन रहे।

Darshan Lal Baweja ने कहा…

आशीष श्रीवास्तव ने आपकी पोस्ट " आज का प्रश्न-203 question no-203 " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

श्रीधर आचार्य (870 - 930 ईसवी सन) ने वर्ग समीकरण हल करने का सूत्र खोजा था!
उन्होने शून्य से संबंधित कई नियम भी प्रतिपादित किये थे जैसे किसी संख्या मे शून्य जोड़ने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या से शून्य घटाने पर वही संख्या प्राप्त होती है, किसी संख्या मे शून्य का गुणा करने पर शून्य प्राप्त होता है। लेकिन वह शून्य द्वारा भाग देने पर मौन रहे।

Unknown ने कहा…

भैया गणित वरग मूल