Thursday, January 19, 2012

आज का प्रश्न-179 question no-179

आज का प्रश्न-179 question no-179
ब्लॉग लिंक ना खुल पाने के कारण यह ब्लॉग २५ प्रश्न पिछड़ गया है माफ करना 
प्रश्न 179 : भारत सरकार ने वर्ष २०१२ को 'राष्ट्रीय गणित वर्ष' मनाने की घोषणा की है और उन के ही जन्म दिवस '२२ दिसम्बर' को 'राष्ट्रीय गणित दिवस' के रूप में मनाने की भी घोषणा हुई है  यह किस महान भारतीय गणितज्ञ के निमित्त किया गया है ?
उत्तर :  श्रीनिवास रामानुजन् जी 
संसार के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को इरोद में हुआ था। बचपन में ही रामानुजन् को यह प्रश्न उद्विग्न करता रहता था कि गणित का सबसे बड़ा सत्य कौन सा है? एक बार उनकी कक्षा में एक मजेदार घटना हुई। अंकगणित पढ़ाई जा रही थी। शिक्षक समझा रहे थे, ''मान लो तुम्हारे पास पांच फल है और तुम्हे पांच लोगों के बीच बांटने हों, तो प्रत्येक को एक ही फल मिलेगा। इसका अर्थ यह है कि पांच हों या दस, किसी भी संख्या में उसी संख्या का भाग देने पर फल एक ही आता है। बच्चो, यही गणित का नियम है।'' शिक्षक के ऐसा कहते ही रामानुजन् तत्काल उठे और उन्होंने प्रश्न किया, ''गुरु जी! मान लो हम शून्य फल शून्य लोगों के बीच बांटे तो क्या प्रत्येक के हिस्से में एक फल आएगा?'' यह प्रश्न सुनकर शिक्षक भी चकरा गए तथा रामानुजन् की विलक्षण बुद्धि को देखकर चकित रह गए कि उस अल्पावस्था में भी रामानुजन् की विचारशक्ति कितनी ऊंचाई को स्पर्श कर रही थी।
उनका पहला निबंध 'मैथमेटिकल सोसाइटी' के मुख-पत्र में प्रकाशित हुआ। छात्रवृत्तियों की सहायता से श्रीनिवास रामानुजन् इंग्लैंड पहुंचे। वहां डा. हार्डी ने उनका मार्गदर्शन किया तथा अंत में यह स्वीकार किया- ''रामानुजन् को मैंने जितना कुछ बताया-समझाया उससे कहीं अधिक मैंने उससे सीखा।'' डा. हार्डी ने एक बार कहा था-''प्रत्येक अंक के साथ रामानुजन् की गहरी दोस्ती है। एक बार की एक घटना है, रामानुजन् उस समय अस्पताल में थे। मैं उन्हे देखने गया था। टैक्सी का नंबर था 1729। रामानुजन् से मिलने पर मैंने यों ही कह दिया-यह 9 एक अशुभ संख्या है। इस संख्या में एक गुणनफल है-13, जिसे परंपरा में अशुभ माना जाता रहा है।'' तभी रामानुजन् ने उत्तर दिया, ''यह तो एक अद्भुत संख्या है। यह एक ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसे दो घन संख्याओं के रूप में दो प्रकार से लिखा जा सकता है-1729 यानी 7&13&19=13+123=103+93। रामानुजन् की स्मरण-शक्ति में संख्या का गणन-साम‌र्थ्य अत्यंत असाधारण था। मात्र 33 वर्ष की अवस्था में 26 अप्रैल, 1920 को चेन्नई में उनका निधन हो गया। हमने एक अपार बुद्धि-साम‌र्थ्य के प्रज्ञावान् को हमेशा के लिए खो दिया।
 आशीष श्रीवास्तव जी  आशा जी का और फेसबुक मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद 
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा  


2 comments:

Ashish Shrivastava said...

श्रीनिवास रामानुजन्

Asha Lata Saxena said...

श्री निवास रामानुजम |
आशा