मंगलवार, 27 सितंबर 2011

आज का प्रश्न-९०question no.90

आज का प्रश्न-९०question no.90

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Qus.no 90 : लैमार्कवाद  के चार मूल धारणाओं मे से एक 'बड़े होने की प्रवृत्ति' 'Tendency to increase in Size' से क्या अभिप्राय था?  
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उत्तर: परस्पर जातीय या गैर-जातीय प्रतिद्वंद्विता,और भोजन के सिमित साधनों के चलते 'बड़े होने की प्रवृत्ति' जीवों मे थी. जब किसी अंग का उपयोग लगातार किया जाता है तब वह बहुत विकसित हो जाता है और समयानुसार 
उसमें इतनी शक्ति आ जाती है कि आने वाली पीढ़ी में भी वह अंग उतना ही विकसित होने लगता है जैसे जिराफ की गर्दन पहले इतनी लंबी नहीं थी पर भोजन के लिए गर्दन ऊपर रोज रोज खींचने से उसकी गर्दन लंबी हो गयी और आने वाली पीढ़ी के जिराफ की गर्दन लंबी होने लगी |
इसे ही लेमार्क वाद के चार मूल धारणाओं मैं से एक "बड़े होने की प्रवृत्ति" कहा जाता है. 
आशा जी का शुक्रिया 

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सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा   

1 टिप्पणी:

Asha Lata Saxena ने कहा…

जब किसी अंग का उपयोग लगातार किया जाता है तब वह बहुत विकसित हो जाता है और समयानुसार
उसमें इतनी शक्ति आजाती है कि आने वाली पीढ़ी में भी वह अंग उतना ही विकसित होने लगता है जैसे जिराफ की गर्दन पहले इतनी लंबी नहीं थी पर भोजन के लिए गर्दन ऊपर रोज रोज खींचने से उसकी गर्दन लंबी हो गयी और आने वाली पीढ़ी के जिराफ की गर्दन लंबी होने लगी |
इसे ही लेमार्क वाद के चार मूल धारणाओं मैं से एक "बड़े होने की प्रवृत्ति" कहा जाता है |
आशा