Sunday, September 18, 2011

आज का प्रश्न-८२ question no.82

आज का प्रश्न-८२ question no.82
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Qus.no 82 : बच्चो को होने वाला यह रोग क्या हो सकता है जिस के निम्न लक्षण हैं ?

दो वर्ष की आयु के बाद बोलना शुरू करना,
अन्य विकास भी 30 माह विलम्ब से होना,
सीख लेने के बाद भी वाक्य को भूल जाना,
कोई इच्छा व्यक्त करते समय आँखें ना मिलाना,
शब्द या कथन को बिना समझे अक्षरशः दोहराना,
एक ही आचरण बार बार दोहराना,
यदि कोई छूना चाहे तो पीठ सिकोड़ लेना.       
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उत्तर : ऑटिज़्म (आत्मविमोह)
ऑटिज़्म (आत्मविमोह) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरु हो जाता है।[1] इन लक्षणों का समुच्चय (सेट) ऑटिज़्म को हल्के (कम प्रभावी) ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) से अलग करता है, जैसे एस्पर्जर सिंड्रोम।
ऑटिज़्म का एक मजबूत आनुवंशिक आधार होता है, हालांकि ऑटिज़्म की आनुवंशिकी जटिल है और यह स्पष्ट नहीं है कि ASD का कारण बहुजीन संवाद (multigene interactions) है या दुर्लभ उत्परिवर्तन (म्यूटेशन)। दुर्लभ मामलों में, ऑटिज़्म को उन कारकों से भी जोडा गया है जो जन्म संबंधी दोषों के लिये उत्तरदायी है।
हाल की एक समीक्षा के अनुमान के मुताबिक प्रति 1000 लोगों के पीछे दो मामले ऑटिज़्म के होते हैं, जबकि से संख्या ASD के लिये 6/1000 के करीब है। औसतन ASD का पुरुष:महिला अनुपात 4,3:1 है। 1980 से ऑटिज़्म के मामलों मे नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है जिसका एक कारण चिकित्सीय निदान के क्षेत्र मे हुआ विकास है लेकिन क्या असल मे ये मामले बढे़ है यह एक उनुत्तरित प्रश्न है।
ऑटिज़्म मस्तिष्क के कई भागों को प्रभावित करता है, पर इसके कारणों को ढंग से नहीं समझा जाता। आमतौर पर माता पिता अपने बच्चे के जीवन के पहले दो वर्षों में ही इसके लक्षणों को भाँप लेते हैं।
शुरुआती संज्ञानात्मक या व्यवहारी हस्तक्षेप, बच्चों को स्वयं की देखभाल, सामाजिक, और बातचीत कौशल के विकास में सहायता कर सकते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है। बहुत कम आटिस्टिक बच्चे ही वयस्क होने पर आत्मनिर्भर होने में सफल हो पाते हैं। आजकल एक आत्मविमोही संस्कृति विकसित हो गयी है, जिसमे कुछ लोगों को इलाज पर विश्वास है और कुछ लोगों के लिये ऑटिज़्म एक विकार होने के बजाय एक स्थिति है।

आशीष श्रीवास्तव  जी और आशा जी का बहुत धन्यवाद इतने विस्तार से बताने के लिए 

फेसबुक साथियों  का धन्यवाद
सभी टिप्पणी कर्ताओं का जी धन्यवाद
प्रस्तुति: सी.वी.रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा       

2 comments:

Ashish Shrivastava said...

ऑटिज़्म (आत्मविमोह)

हिन्दी वीकी के अनुसार
ऑटिज़्म (आत्मविमोह) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरु हो जाता है।[1] इन लक्षणों का समुच्चय (सेट) ऑटिज़्म को हल्के (कम प्रभावी) ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) से अलग करता है, जैसे एस्पर्जर सिंड्रोम।
ऑटिज़्म का एक मजबूत आनुवंशिक आधार होता है, हालांकि ऑटिज़्म की आनुवंशिकी जटिल है और यह स्पष्ट नहीं है कि ASD का कारण बहुजीन संवाद (multigene interactions) है या दुर्लभ उत्परिवर्तन (म्यूटेशन)। दुर्लभ मामलों में, ऑटिज़्म को उन कारकों से भी जोडा गया है जो जन्म संबंधी दोषों के लिये उत्तरदायी है।
हाल की एक समीक्षा के अनुमान के मुताबिक प्रति 1000 लोगों के पीछे दो मामले ऑटिज़्म के होते हैं, जबकि से संख्या ASD के लिये 6/1000 के करीब है। औसतन ASD का पुरुष:महिला अनुपात 4,3:1 है। 1980 से ऑटिज़्म के मामलों मे नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है जिसका एक कारण चिकित्सीय निदान के क्षेत्र मे हुआ विकास है लेकिन क्या असल मे ये मामले बढे़ है यह एक उनुत्तरित प्रश्न है।
ऑटिज़्म मस्तिष्क के कई भागों को प्रभावित करता है, पर इसके कारणों को ढंग से नहीं समझा जाता। आमतौर पर माता पिता अपने बच्चे के जीवन के पहले दो वर्षों में ही इसके लक्षणों को भाँप लेते हैं।
शुरुआती संज्ञानात्मक या व्यवहारी हस्तक्षेप, बच्चों को स्वयं की देखभाल, सामाजिक, और बातचीत कौशल के विकास में सहायता कर सकते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है। बहुत कम आटिस्टिक बच्चे ही वयस्क होने पर आत्मनिर्भर होने में सफल हो पाते हैं। आजकल एक आत्मविमोही संस्कृति विकसित हो गयी है, जिसमे कुछ लोगों को इलाज पर विश्वास है और कुछ लोगों के लिये ऑटिज़्म एक विकार होने के बजाय एक स्थिति है।

Asha Lata Saxena said...

Autism is the right answer .
Asha