tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post6267316205295086824..comments2023-08-04T00:39:50.430-07:00Comments on हर रोज़ एक प्रश्न?: आज का प्रश्न-९८ question no.98Darshan Lal Bawejahttp://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-65761078831473744112011-10-05T18:33:48.638-07:002011-10-05T18:33:48.638-07:00शिल्पा जी ने बहुत सही ,बताया है |
आशाशिल्पा जी ने बहुत सही ,बताया है |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-30010110714073522432011-10-05T14:36:54.960-07:002011-10-05T14:36:54.960-07:00मटके का जल ग्रीष्म ऋतु में ठण्डा इसलिए रहता है क्य...मटके का जल ग्रीष्म ऋतु में ठण्डा इसलिए रहता है क्योंकि मटके में छोटे- छोटे छिद्र होते हैं | उन छिद्रों से पानी रिसता है, इस पानी का वाष्पीकरण (Vaporization) होता है और यह जलवाष्प (Water Vapour) में परिवर्तित हो जाता है | वाष्पीकरण के समय इस जल को वाष्प बनने के लिए "वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा" (Latent Heat of Vaporization) की आवश्यकता होती है जो यह मटके और उसके आस पास से लेता है और इस कारण मटके, उसके जल और आस-पास को ठण्डा कर जाता है |<br /> वर्षा ऋतु में वायुमंडल में पहले से ही प्रचुर मात्रा में जल वाष्प होती है इस कारण मटके की सतह पर एकत्रित जल का वाष्पीकरण नहीं हो पाता और गुप्त उष्मा का क्षय ना होने के कारण मटके का पानी ठण्डा नहीं होता |Shilpa Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/04036675073999162990noreply@blogger.com