tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post3218161683830116156..comments2023-08-04T00:39:50.430-07:00Comments on हर रोज़ एक प्रश्न?: आज का प्रश्न-270question no-270Darshan Lal Bawejahttp://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-72161123701293133092012-04-24T08:47:08.318-07:002012-04-24T08:47:08.318-07:00अद्भुत रोचक जानकारी। हिन्दी मे विज्ञान को सरलता से...अद्भुत रोचक जानकारी। हिन्दी मे विज्ञान को सरलता से समझाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। नियमित तौर पर पठनीय।नीरज दीवानhttps://www.blogger.com/profile/14728892885258578957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-89076301785855275342012-04-23T10:34:45.725-07:002012-04-23T10:34:45.725-07:00टॉपॉलॉजी, ग्राफ थ्योरी और नेटवर्क आज गणित की प्रोन...टॉपॉलॉजी, ग्राफ थ्योरी और नेटवर्क आज गणित की प्रोन्नत शाखाएं हैं एक सामान्य से और जन-साधारण के कौतुहल प्रश्न से इन विधाओं का विकास हुआ। कोनिग्सबर्ग में प्रोगल नदी पर बने सात पुलों से यह कहानी शुरू होती है। वहां के निवासी सातों पुलों को एकही बार में, किसी भी पुल पर दुबारा न जाकर पार करने की कोशिश करते थे। आयलर ने सिद्ध किया कि सातों पुल सतत चलते हुए, मार्गको दोहराए बिना पार नहीं किए जा सकते।<br />उन्होंने इसके सांस्थिक प्रारूप के माध्यम से इसे नेटवर्क की समस्या में परिवर्तित कर इसका हल प्राप्त किया। आयलर का यह हल 1735 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि एक बहुफलक में µ किनारों की संख्या +2 = शीर्षों की संख्या + फलकों की संख्या<br />E+2 = V+F<br />आयलर का यह कार्य टापॉलॉजी, ग्राफथ्योरी और नेटवर्क के विकास के लिए आधारभूत सिद्ध हुआ।Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5903560513560655525.post-54831575289428295842012-04-21T16:07:15.767-07:002012-04-21T16:07:15.767-07:00रोमर तथा हायजेंस 1675रोमर तथा हायजेंस 1675Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.com